KHABAR AAP TAK(INDIA NEWS)
*ब्यूरो सुनील नगेले शिवपुरी*
*ग्वालियर स्थित राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय पहुंचे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, बोले "ग्वालियर की संगीत शक्ति को UNESCO ने भी माना है, अब विश्वस्तरीय कलाकार ग्वालियर से ही उभरने चाहिए।"*
- विश्विद्यालय के छात्रों के साथ संगीत और कला का लिया आनंद, बोला "21 वीं सदी में हमें अपने इतिहास और आध्यात्म की रक्षा करनी है।"
21 अक्टूबर 2024। अपने एक दिवसीय प्रवास पर ग्वालियर आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आज शहर में स्थित राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ मुलाकात से की। सिंधिया ने विश्वविद्यालय पहुंच सबसे पहले पूरे विश्वविद्यालय का दौरा किया और विभिन्न बच्चों से मिले। इसके बाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में वह शामिल हुए।
*छात्रों ने गाया भारतीय शास्त्रीय संगीत और भरतनाट्यम तथा कथक नृत्य किया प्रस्तुत, सिंधिया भी गुनगुनाते हुए दिखे*
विश्विद्यालय के छात्रों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति की तथा 8 छात्राओं के समूह ने भरतनाट्यम तथा कथक नृत्य भी किया। दोनों ही प्रस्तुति के दौरान सिंधिया ने छात्रों की हर धुन और हर गीत का आनंद लिया और स्वयं भी गुनगुनाते हुए दिखाए दिए। बच्चों को उनकी अद्भुत कला के लिए सिंधिया ने उन्हें अपनी शुभकामनाएं भी दी।
*UNESCO ने माना की ग्वालियर संगीत की नगरी है, भविष्य में देश के सबसे बड़े संगीतकार इसी शहर से आने चाहिए: ज्योतिरादित्य सिंधिया*
बच्चों के साथ वार्ता के दौरान केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने बताया की UNESCO ने ग्वालियर शहर को "संगीत नगरी" का दर्जा दिया है और इसीलिए जरूरी है कि हम अपनी प्रतिभाओं को सही मंच प्रदान कर यह सुनिश्चित करें कि आने वाले समय में देश के सबसे बड़े संगीतकार हमारे शहर से आने चाहिए।
*राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की अधोसंरचना को बेहतर बनाने के लिए किया वादा*
सिंधिया ने विश्वविद्यालय की अधोसंरचना को बेहतर और विश्वस्तरीय बनाने का भी वादा किया और बोला की वह हर संभव प्रयास करेंगे की यहां के बच्चों की कला विश्व स्तर पर पहुंचे।
*सिंधिया परिवार और संगीत का गहरा संबंध*
बता दें कि सिंधिया परिवार में भी संगीत का पुराना इतिहास रहा है। इसके बारे में बात करते हुए सिंधिया ने बताया कि, मेरे पूर्वज महादजी सिंधिया महाराज तो स्वयं बहुत अछे भजन लिखते थे और गाते थे। महाराज जयाजीराव ख़ुद भारतीय शास्त्रीय संगीत में रुचि रखते थे और उन्होंने उस्ताद हस्सूखान और हद्दूखान से गायन की और उस्ताद अमीरखान से सितार वादन की शिक्षा ग्रहण की थी। दशकों से दिसंबर में हर वर्ष तानसेन महोत्सव भी होता है जो अब ग्वालियर की संस्कृति और हमारी परंपरा का एक अटूट हिस्सा बन चुका है।
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