अमित शाह के दबाव में मीडिया

जान कारी:=विभिन्न खबरों एवं सूत्रों के माध्यमसे                                                                                                                     ।।                                                                                विभिन्न मीडिया संस्थानों ने नोटबंदी से जुड़ी अमित शाह की ख़बर क्यों हटाई?

यह पहली बार नहीं है जब भाजपा नेताओं पर सवाल उठाती किसी ख़बर को न्यूज़ वेबसाइट्स ने बिना कारण बताए हटाया है.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जिस जिला सहकारी बैंक के निदेशक हैं, वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक लिए गये नोटबंदी के फैसले के बाद करीब 750 करोड़ रुपये जमा किए गये थे. यह खबर गुरुवार देर शाम कई समाचार वेबसाइट्स पर दिखाई दी लेकिन कुछ ही घंटो बाद न्यूज़ 18, फर्स्टपोस्ट, टाइम्स नाउ और न्यू इंडियन एक्सप्रेस जैसी वेबसाइट्स ने बिना कोई कारण बताए इस खबर को हटा दिया है.

अब तक भी इन वेबसाइट्स के संपादकों ने स्टोरी हटाने के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है. इसमें से न्यूज़ 18 और फर्स्टपोस्ट वेबसाइट रिलायंस समूह द्वारा संचालित नेटवर्क 18 समूह की हैं. इस ख़बर के लिंक पर क्लिक करने पर एरर- 404 लिखा दिखता है.

गौरतलब है कि समाचार एजेंसी आईएएनएस ने मुंबई के एक आरटीआई कार्यकर्ता की याचिका के जवाब में मिली जानकारी से खुलासा किया था कि अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (एडीसीबी) ने नोटबंदी के शुरुआती पांच दिनों में 745.59 करोड़ मूल्य के प्रतिबंधित नोट जमा किए गए.

मालूम हो कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था और जनता को बैंकों में अपने पास जमा पुराने नोट बदलवाने के लिए 30 दिसंबर 2016 तक यानी 50 दिनों की मियाद दी गई थी.

हालांकि इस फैसले के 5 दिन बाद यानी 14 नवंबर 2016 को सरकार की ओर से यह निर्देश दिया गया कि किसी भी सहकारी बैंक में नोट नहीं बदले जाएंगे. इस आरटीआई के जवाब में यह सामने आया है कि अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (एडीसीबी) ने इन्हीं पांच दिनों में 745.59 करोड़ मूल्य के प्रतिबंधित नोट जमा किए.

अहमदाबाद ज़िला सहकारी बैंक में नोटबंदी के बाद जमा हुई यह राशि किसी भी सहकारी बैंक में जमा हुई सर्वाधिक राशि है.

यह पूरी खबर इस लिंक पर पढ़ी जा सकती है.

द वायर  द्वारा इस खबर को वेबसाइट से हटाए जाने को लेकर विभिन्न संस्थानों से संपर्क किया गया. न्यू इंडियन एक्सप्रेस के एडिटोरियल डायरेक्टर प्रभु चावला ने यह मामला अख़बार के संपादक जीएस वसु पर टाल दिया. उन्होंने कहा, ‘अख़बार के संपादक सभी संपादकीय मामलों पर अंतिम निर्णय लेते हैं.’

द वायर  ने न्यूज 18, फर्स्टपोस्ट और न्यू इंडियन एक्सप्रेस के संपादकों को भी सवाल भेजे हैं, लेकिन अब तक किसी की भी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है. उनके जवाब आने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब भाजपा नेताओं की आलोचना वाली खबरों को समाचार वेबसाइट्स द्वारा हटाया गया है.

जुलाई 2017 में टाइम्स आॅफ इंडिया के अहमदाबाद एडिशन में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की संपत्ति में पांच सालों में 300 प्रतिशत इजाफा होने की खबर छपी थी. लेकिन अखबार की वेबसाइट द्वारा प्रकाशित किए जाने के कुछ घंटों में ही इसे हटा दिया गया.

इसी तरह एक अन्य खबर, जहां केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने हलफनामे में स्पष्ट किया था कि उन्होंने अब तक बी.कॉम का कोर्स पूरा नहीं किया है, भी बिना किसी स्पष्टीकरण के समाचार वेबसाइट्स से गायब हो गयी थी.

यही खबर पिछले साल 29 जुलाई को ख़बर डीएनए अखबार के प्रिंट संस्करण और आउटलुक हिंदी की वेबसाइट पर छपी थी, लेकिन बाद में दोनों संस्थानों की वेबसाइट से बिना कारण बताए हटा दी गई.

इसी तरह 14 सितंबर 2017 को टाइम्स आॅफ इंडिया के जयपुर संस्करण द्वारा नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की आलोचना करती हुई एक ख़बर प्रकाशित की गई थी, लेकिन यह खबर अखबार की वेबसाइट पर प्रकाशन के कुछ घंटों बाद हटा दी गई.

यहां गौर करने वाली बात है कि वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत दुनिया में 136वें स्थान पर है. दिलचस्प है कि इस साल वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम दिवस पर टाइम्स ऑफ इंडिया और इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा इस इंडेक्स में देश की रैंकिंग गिरने को लेकर एक रिपोर्ट हटा दी गयी थी.

जब वेबसाइट न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा इस बारे में टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट के संपादक प्रसाद सान्याल से संपर्क किया गया तब कहा गया कि यह मीडिया संस्थानों के विशेषाधिकार के तहत आता है.
                                                     *अंबाणी की मिडीया ने अमित शाह की बेंक वाली न्युज़ को हटाया...*

ये पहेली बार नहीं है ! ऐसा अक्सर होता है !!*

पुण्यप्रसुन्न वाजपाये का आजतक से एबीपी में जाना भी इसी का हिस्सा रहा है !! कोइ भी न्युज़ चलाये जो मोदी सरकार के खिलाफ हो तो PMO से फोन आ जाता था वाजपेयी को !!

*शर्मनाक...*

भ्रष्टाचार भी, लोकतंत्र का खुन भी और दादागीरी भी...

*वाह रे तेरा राष्ट्रवाद...*
*कमाल है !! *पहेली खबर :*

नोट्बंदी के समय देश में सब से ज्यादा नोट जिस सहकारी बैंक में जमा हुए उसके अध्यक्ष अमित शाह है, जहाँ मात्र  *5 दिन में 750 करोड़ रु* जमा हुए I

*सवाल : क्या 5 दिन में इतने नोट गिनना भी संभव है  ?*

*दुसरी खबर :*
उसी साल भाजपा का बेनामी चंदा 81% के इजाफे के साथ पहोचा 1034 करोड !!

जीसे दो खबरो को जोडके देखना हो देख सकते है !! वैसे अरविंद केजरीवाल ने तो नोटबंधी के दुसरे दिन ही बता दिया था की ये लाखो करोडो का घोटाला है !!

देशकी 125 करोड जनता को अपने पसीने की पाइ पाइ के लीये मोहताज़ करके अपना घर भरने वाले को मैं राष्ट्रवादी कैसे मानलूं ?? *अमित शाह के बैंक ने नोटबन्दी कर दौरान 5 दिन में 750 करोड़ रूपये जमा किये ..

*अब आइये थोड़ा हिसाब लगाते हैं ...*

*750/5 = 150 करोड़ रुपये प्रतिदिन जमा हुआ*

*मान लीजिये पाँचो दिन बैंक कर्मचारियों ने 12-12 घंटे काम किया तब भी*

*150/12 = 12.5 करोड़ रुपये प्रति घंटा जमा हुआ*

*मान लीजिये कि हर बैंक कस्टमर ने 1 लाख रूपये जमा कराए तब*

*125,000,000 / 100,000 =1250 कस्टमर प्रति घंटा*

*उस बैंक ने एक घंटे में 1250 कस्टमर हैंडल किये ...*

*1250/60 = 20.8 कस्टमर प्रति मिनट*

*मतलब 20 कस्टमर प्रति मिनट ...*

*आप भी बैंक रूपये जमा कराने गए होंगे ... कभी देखा है एक मिनट में 20 कस्टमर निपटाते हुए ???*

*यही तो विकास है ...*
*मनमोहन सिंह जी और बड़े आर्थिक विशेषयज्ञों ने तभी कह दिया था "नोटबन्दी आज़ाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला है ... "*

*2019 में यही पैसा इस्तेमाल होगा ... इंतेज़ार करिये अपनी बर्बादी का ...*

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