पिछोर:= पिछोर अनुविभाग मैं रेत माफिया का नंगा नाच सामने आया है। जिसमें खोड़ पिछोर मार्ग पर ग्राम बूडौन के पास महुअर नदी से लगी हुई चौमसया नदी से रेत निकालने बालों ने नदी पर बने पुल को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है। जिसके चलते कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है ।अभी हाल ही में ग्राम टोड़ी के कुछ लोगों के द्वारा खोड़ पुलिस चौकी को सूचना दी गई थी। कि ग्राम बूडौन का रवि जाटव पुत्र फून्दा जाटव चौमसया नदी पर बने पुल के निचले हिस्से को खोद कर रेत निकाल रहा है।सूचना पर कार्यवाही करते हुए चौकी प्रभारी नितेश जैन मौके पर पहुंचे और रवि जाटव को खोड़ चौकी लेकर आए और समझाइश देकर आगे से इस तरह के कार्य को ना करने की हिदायत के बाद उसे छोड़ दिया गया ।परंतु उक्त व्यक्ति अपने काम से बाज ना आते हुए। पुनः रेत की खुदाई में लग गया विडंबना यह है ।की यह लोग दिन में नदी के पास से एवं पुल के नीचे से रेत की खुदाई करते हैं ।और रात में ट्रैक्टरों के माध्यम से रेत का परिवहन कर खोड़ एवं आस-पास के गांव में विक्रय करते हैं। आज हालात यह है । कि पुल के नीचे से मिट्टी एवं रेत निकालने के कारण पुल के नीचे 8 से 10 फूट गहरे एवं लंबे गड्ढे हो चुके हैं। इसके बावजूद भी यह लोग अपनी जान की परवाह न करते हुए।रेत की खुदाई करने मैं मस्त हैं।ओर प्रशासन के लचर रवैये के चलते इनके हौसले वढते जा रहे हैं।जिसके कारण पुल मात्र भगवान भरोसे टिका हुआ है। और बारिश की बाट जो रहा है। संभवता जैसे ही बारिश आती है। यह पुल धड़ाधड़ जमीन दोष होकर गिर सकता हैं । फुल के हालात को देखते हुए लगता है। कि अगर पुल का कोई स्थाई सुधार ना किया गया।तो किसी भी समय कोई वाहन यात्री बस पुल के टूटने से दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं। और अगर कोई यात्रियों से भरी हुई बस इस दुर्घटना की चपेट में आती हैं।तो स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है। कि जिसमें कई लोगों की जान भी जाने की आशंका है। और अगर फुल टूट जाता है तो खोड़ पिछोर का मुख्य रास्ता अवरुद्ध होगा जिसके कारण पिछोर से खोड़ का सम्पर्क पूरी तरह टूट जाएगा और लोगों के द्वारा कई किलोमीटर का चक्कर लगाते हुए पिछोर पहुंचना उनकी मजबूरी होगी । इसी गंभीरता को देखते हुए प्रशासन को चाहिए कि जल्द से जल्द पुल की मरम्मत कर स्थिति को बिगड़ने से पहले ही रोका जा सके और इस तरह के रेत माफियाओं पर सख्त कार्यवाही कर उन्हें भी दंडित किया जाना अति आवश्यक है।जिससे यह लोग आगे से इस तरह के कार्य न करें और शासकीय संपत्ति को क्षति पहुंचाने से पहले दस वार सोचने को मजबूर हो सकैं ।
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