स्वास्थ्य विभाग में भृष्टाचार चरमसीमा पर??


अभी अभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से एक डॉक्टर का स्थानांतरण करेरा अस्पताल कर दिया है। मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने शासन व हाइकोर्ट को गुमराह कर बदरवास अस्पताल में पदस्थ मात्र दो चिकित्सक में से एक का स्थानांतरण करेरा करवा दिया है।जिसमें से डॉ पिप्पल को बदरवास का बीएमओ बनाने के लिए करेरा अस्पताल की आड़ में यह स्वार्थवश खेल खेला गया है ।क्योंकि जिस तरह से करेरा में एक ही चिकित्सक है अब डॉ माथुर के स्थानांतरण के बाद बदरवास में भी एक ही चिकित्सक वँहा बचा है यानी जो हाल करेरा का था अब वही हाल बदरवास का हो गया है। ज्ञात हो कि ये डॉ पिप्पल वही चिकित्सक है , एक वर्ष पूर्व जिनके पुराने बीएमओ कार्यकाल की एक ट्रक एक्सपायरी दवाइयों पकड़ी गई थी और जांच में डॉ पिप्पल को दोषी पाते हुए प्रमुख सचिव श्रीमती गौरी सिंह ने बदरवास से नरवर स्थानांतरण किया था। फिर उसी दोषी चिकित्सक को बीएमओ बनाने के लिए यदि दूसरे चिकित्सक का स्थानांतरण किया है तो फिर ये भृष्टाचार की ओर इंगित करता है। अर्थात अन्य विकल्पों की बजाय बदरवास में दो चिकित्सको में से एक का स्तानन्तरण करना किसी भी हालत में न्यायोचित नही है।
  क्षेत्र की जनता की मांग है कि निष्पक्षता के साथ निर्णय ले कर एक अस्पताल के कारण दूसरे अस्पताल की व्यवस्थाएं न बिगाड़ी जाए तथा भ्रष्ट ,शराबी एव उद्दंड डॉ पिप्पल को किसी भी हालत में बीएमओ न बनाया जाए।
अन्यथा क्षेत्र की जनता को उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।??

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