KHABAR AAPTAK NEWS INDIA
प्रधान संपादक साहिल खान
दतिया ब्यूरो दीपक श्रीवास्तव
रिपोर्टर रामलाल गौतम
दतिया सरस्वती विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भरतगढ़ में हिंदू संस्कृति और संस्कारों का ज्ञान कराने और भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य परंपरा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य आज भारतीय शिक्षण मंडल इकाई के द्वारा व्यास पूजा का आयोजन किया गया ।
सरस्वती विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भरतगढ के प्राचार्य/प्रबंधक श्री मनोज जी गुप्ता ने अपने विद्यालय में पाश्चात्य संस्कृति को रोकने और हिंदू संस्कृति और संस्कारों की शिक्षा दीक्षा देने के लिए भारतीय शिक्षण मंडल के साथ एक गुरु शिष्य के बीच व्यास पूजा का आयोजन विद्यालय परिसर में आयोजित किया । इस आयोजन में मुक्ति के रूप में डॉ श्री रवि द्विवेदी (भारतीय शिक्षा मंडल प्रांतीय उच्च शिक्षा प्रमुख एवं प्राध्यापक महारानी लक्ष्मीबाई स्नातकोत्तर महाविद्यालय ग्वालियर), डॉ जगमोहन द्विवेदी (स्वदेश स्तंभकार एवं प्राध्यापक माधव लॉ कॉलेज) विशिष्ट अतिथि डॉ राहुल श्रीवास्तव (शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय दतिया हिंदी प्राध्यापक), श्री इंद्रप्रकाश खरे (शिक्षक, छन्द लेखक )प्रमुख रूप से उपस्थित हुए ।कार्यक्रम के आरंभ में सभी अतिथियों ने सरस्वती पूजन और भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण कर संगीतमय सरस्वती वंदना गायन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया । तत्पश्चात अतिथियों का सम्मान विद्यालय के भैया बहनों द्वारा गुरु शिष्य परंपरा के अनुसार किया गया।कार्यक्रम के प्रारंभिक चरण में विद्यालय के प्राचार्य /प्रबंधक श्री मनोज जी गुप्ता जी ने अपने वक्तव्य में गुरु और शिष्य के बीच गुरु में गुरु तत्व और शिष्य में विद्या अर्जन करने के लिए श्रद्धा भाव होने पर बल दिया तथा श्रद्धा से कैसे एक छात्र एक अच्छा शिष्य, शिक्षक और गुरु बन सकता है और देश का समाज का कैसे कल्याण कर सकता है । ततपश्चात श्री मनोज जी गुप्ता ने विद्यार्थियों के बीच अपनी बात बड़े सरल तरीके से रखते हुए बताया कि किस तरह विद्यार्थी उच्च शिक्षा में आकर अपने जीवन को संस्कारों सुरक्षित और पोषित कर सकता है और कैसे उच्च शिक्षा में आकर उसे अपने संस्कारों की सुरक्षा करनी होती है । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ श्री रवि द्विवेदी जी ने विद्यार्थियों को व्यास पूजा के महत्व को बताया एवं महर्षि वेदव्यास के जन्म दिवस के रूप में हम इस पूर्णिमा को मानते हैं भारतीय शिक्षा मंडल के अनुसार पूर्णिमा से लेकर 24 तारीख तक व्यास पूजा कार्यक्रम का आयोजन किया जाना है शिक्षा , शिक्षण में आत्मीयता लाने की बात करती है और भारतीय शिक्षा मंडल हमेशा से यह कहता है कि जब हम बहुत पुण्य कमा लेते हैं तब हमें मनुष्य का जीवन मिलता है और जब हमारे पुण्य दो गुना हो जाते हैं तब हमें भारत भूमि में जन्म मिलता है और जब पुण्य तीन गुना हो जाते हैं तब हमें गुरु या शिक्षक बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है व्यास पूजा कार्यक्रम उन समस्त गुरुओं को एवं समस्त आचार्य दीदीयों को समर्पित है जो आपको प्रकाश की ओर ले जाते हैं उन्होंने यह भी कहा कि आज पूरा विश्व मानता है की अध्यात्मिक दर्शन के माध्यम से ही समस्याओं से निकला जा सकता है बहुत सारी चीज़ें ऐसी होती हैं जो चाहे अनचाहे रूप से हमारे मस्तिष्क को विचलित कर जाती हैं गुरु सिर्फ आपको शिक्षा नहीं देता बल्कि शिक्षा देने के साथ-साथ मूल विचारों को भी देता है तभी आप संपूर्ण व्यक्ति एवं संपूर्ण मानव होते हैं अपने उद्बोधन में उन्होंने व्यक्तित्व,चरित्र के बारे में बताते हुए कहा हमारा गुरु एक विद्यार्थी का व्यक्तित्व बनाने के साथ-साथ चरित्र बनाने का काम भी करता है भारतीय शिक्षा मंडल कहता है कि हमें अपने अंदर के गुणों का विकास करना है मनुष्य के लिए जो सबसे अधिक आवश्यक है वह विचार एक विचार आपको शिखर पर पहुंचा सकता है तो एक विचार आपको गर्त में पहुंचा सकता है एक विचार आपको हिंसात्मक बन सकता है और एक विचार आपको प्रेम करना सीख सकता है गीता का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपनी ज्ञान इंद्रियों को बस में रखना चाहिए इस भाव के द्वारा विद्यार्थियों में भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के बात कही। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथियों का आभार इकाई प्रमुख दीदी श्रीमती कामिनी सिंह राठौड़ द्वारा व्यक्त किया गया।
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